नरवणे ने लाइन ऑफ कंट्रोल या लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर तैनात सैनिकों से अपने करीबी और प्रियजनों के बारे में चिंता न करने और छुट्टियों को रद्द करने को कहा है। उन्होंने कहा कि इसी तरह के हालात ऑपरेशन पराक्रम के दौरान भी देखे गए थे लेकिन तब भी सफलता ही मिली थी। ऑपरेशन नमस्ते को भी सफलता मिलेगी।
आर्मी चीफ ने कहा, ‘कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में हमारी जिम्मेदारी है हम सरकार और जनता की मदद करें। बतौर आर्मी चीफ यह मेरी प्राथमिकता है कि मैं अपने सैनिकों को सुरक्षित और फिट रखूं। हम अपने कर्तव्यों में तभी सेवा कर सकते हैं जब हम खुद सुरक्षित हों।
उन्होंने अपने सैनिकों को भरोसा दिलाया कि वह अपने करीबियों की चिंता न करें क्योंकि सेना उनका ख्याल रख रही है। आर्मी चीफ ने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि हम अपने ऑपरेशन नमस्ते में सफल होंगे। हमने कमांड वार हेल्पलाइन की स्थापना की है, जिससे कोई मदद लेने के लिए संपर्क कर सकता है। सेना ने देशभर में कई क्वारंटाइन सेंटर्स बनाए हैं। इसके अलावा, अगर कोई समस्या सामने आती है तो परिवार नजदीकी आर्मी कैंप में भी जा सकते हैं। आर्मी चीफ ने कहा कि उन्हें पता था कि छुट्टी को रद्द करने से सैनिकों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है लेकिन साल 2001-02 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान सेना के जवानों ने आठ से दस महीने तक छुट्टियां नहीं ली थीं।