इसे सत्ता का अहंकार , लापरवाही कहें या खतरे से अपने देश के महफूज रहने का ओवर कॉन्फिडेंस। ट्रम्प कई महीनों तक जिस तरह से कोरोना के खतरे को खारिज करते रहे और पूरा अमेरिका देखते देखते कोरोना के महा दावानल में जल उठा। इसके लिए वो अमरीकी जनता के गुनहगार तो हैं ही दुनिया के भी गुनाहगार हैं। यह इसलिए कहा जा सकता है कि अमेरिका की जो सामर्थ्य है वह खुद के साथ पूरी दुनिया को बचा सकता था। अब तो वह खुद अपने घर को ही बचाने में तबाह हो रहा है। दुनिया की सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ सेवा वाला देश अपने डॉक्टरों, पैरा मेडिकल स्टाफ को जीवन रक्षक उपकरण मुहैया कराने में लाचार है। वहाँ की स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ने लगी हैं। डॉक्टर डिप्रेशन में हैं।
हैरत की बात तो ये है कि इस खतरे का अंदाजा अमेरिका चाहे जिन वजहों से न लगा पाया हो मगर पुलित्जर पुरस्कार प्राप्त अमेरिकी पत्रकार लारेंस राइट ने इसे बहुत पहले ही भांप लिया था। इसका जीवंत दस्तावेज है उनकी पुस्तक The End of October.है। यह पुस्तक अगले महीने यानी अप्रैल में प्रकाशित हो रही है। भले ही यह काल्पनिक फ्लू से दुनिया की बर्बादी के बारे में बताती है लेकिन कोरोना वायरस के कोहराम के बीच यह बहुत ही मौजूं है। यही नही इस संकट से जूझने और उससे पार पाने में अमेरिका जैसी महाशक्ति की बेबसी की वास्तविकता को भी उजागर करती है।
मगर वहां का लापरवाह प्रशासन भी स्थिति की गंभीरता का आकलन नहीं कर सका। जब तक चेतते तब तक बहुत देर हो चुकी थी। योजनाएं जमीन पर क्रियान्वित नहीं हो पायीं। एक महिला जन स्वास्थ अधिकारी बताती है कि महामारी आ चुकी है। हमारे पास सिरिंज, टेस्ट किट,दस्ताने,श्वसन यंत्र,एंटीसेप्टिक आदि जरूरी चिकित्सा उपकरणों की भारी किल्लत है। ये कोरोना के मरीजों का इलाज करने के साथ डॉक्टरों की सुरक्षा के बेसिक उपकरण हैं। ये पंक्तियां लारेंस के पुस्तक से उद्धृत हैं। हैरत की बात है ये अभाव अमेरिका के साथ साथ वैश्विक स्तर पर दिख रहा है। आश्चर्य है कि एक पत्रकार ने इसे बहुत पहले भांप लिया मगर अमेरिकी तंत्र कुम्भकर्णी निद्रा में सोएबरहा।
लारेंस का थ्रिलर उपन्यास The End of October एक भयानक महामारी पर केंद्रित है। जो चीन से शुरू होकर पूरी दुनिया मे फैल जाती है। लारेंस ने जिस महामारी के बारे में बताया है वह चीन से शुरू होने वाला कोरोना वायरस नहीं है। उन्होंने प्लेग के ही एक काल्पनिक रूप कंगोली फ्लू का जिक्र किया है।
इसका epicentre इंडोनेशिया है। यहाँ से पूरी दुनिया मे फैलता है और इससे कोरोना से ज्यादा बर्बादी और तबाही होती है। राइट ने कंगोली फ्लू के कारण सभ्यताओं के बीच खूनी संघर्ष और दुनिया के देशों में लड़ाइयां छिड़ने जैसा भयावह दृश्य खींचा है। हालांकि कोरोना का भी सामाजिक असर बेहद खतरनाक है औऱ आगे आने वाले दिनों में स्थिति के और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है लेकिन राइट ने जो भयावह दृश्य खींचा है कोरोना के मामले में उसकी आशंका बहुत क्षीण है।
फिलहाल मौजूदा महामारी के समय के बीच लारेंस की पुस्तक को पढ़ना एक भयानक अनुभव से गुजरने जैसा है। लारेंस ने अपनी इस पुस्तक से साबित कर दिया है कि जो लोग चीजों पर गहराई से नजर रखते हैं वो आने वाली विपदाओं की आहट पहचान लेते हैं। मीर विडंबना यह है कि ट्रम्प और उनका समूचा तंत्र इसे समझने में फेल हो गया। भविष्य में आने वाले संकटों के आकलन पर लारेंस का यह कोई पहला उपन्यास नहीं है। 1998 में किसी अन्य के साथ लिखे गए उनके चर्चित थ्रिलर उपन्यास The Siege की पटकथा में 9/11 के हमले कि अनुगूंज थी।
उसकी कहानी यह है कि कई आतंकवादी हमलों के बाद अमेरिका नागरिक अधिकारों में कटौती कर देता है। और अपनी सैन्य क्षमता में भारी बृद्धि करता है। हाल में ही न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में लारेंस ने लिखा ” वह फ़िल्म तब हिट हुई थी लेकिन 9/11के बाद अमेरिकियों में इसे देखने की होड़ मच गई ” दरअसल लारेंस कोई भविष्यद्रष्टा नहीं बल्कि एक शानदार रिपोर्टर है। इस किताब के बारे में उन्होंने कहा है कि इसे लिखने के पहले मैंने अनेक वैज्ञानिकों, आपदा विशेषज्ञों का इंटरव्यू किया।पूछा कि भयंकर आपदा से निपटने के लिए अमेरिका की क्या तैयारी है। सैन्य अधिकारियों के साथ शीर्ष अधिकारियों से इस बारे में मुझे जानकारियां मिलीं। उन सबने जो अपनी चिंताएं साझा की उन सबको उपन्यास का आकार दे दिया।
इसी तरह 26 साल पहले विज्ञान पत्रकार लॉरी जैरेट ने प्लेग के बारे में आगाह किया था। 2015 में बिल गेट्स ने The Next Outbreak ? We are not ready नाम से एक टॉक किया था जिसमे उन्होंने कहा था कि दुनिया को खतरा परमाणु युद्ध से नहीं बल्कि वायरस से है। यही नहीं डोनाल्ड ट्रम्प के health and human services विभाग ने पिछले साल कई चेतावनियां जारी की थीं। कहा था कि चीन से एक खतरनाक वायरस दुनिया मे फ़ैल सकता है जिसमे 11 करोड़ अमेरिकी बीमार हो सकते हैं। इसके बावजूद ट्रम्प कहते हैं कि कोरोना वायरस से संबंधित उन्हें कोई अग्रिम जानकारी नहीं थी।
– न्यूयॉर्क टाइम्स से साभार